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रावण बनें या राम - स्वयं विचार कीजिये

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रावण बनें या राम - स्वयं विचार कीजिये "रावण में वासना थी तो संयम भी था।। रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था।।" "सीता जीवित मिली, ये राम की ही ताकत थी। पर सीता पवित्र मिली, ये रावण की भी मर्यादा थी।।" ऐसे और भी अनगिनत मिलते जुलते आधारहीन मैसेजेस पिछले दो तीन सालों में आपने कई बार सोशल मीडिया पर वायरल होते देखा होगा, आप में से न जाने कितनों ने जाने अनजाने इसे शेयर भी किया होगा। इतना ही नहीं, जिन्होंने रामायण कभी पढ़ी ही नहीं, वो भी लग जाते हैं इस पूर्णतः बकवास का समर्थन करने। ऐसे मैसेजेस को पढ़कर कितनों के मन में रावण जैसा नीच राक्षस महात्मा बन बैठता है। रावण ने परस्त्री को नहीं छुआ यह पूरी तरह गलत है, स्वयं रावण ने इसका खण्डन किया है। देखिए वाल्मीकि रामायण से - बह्वीनामुत्तमस्त्रीणामाहृतानामितस्ततः। सर्वासामेव भद्रम् ते ममाग्रमहिषी भव।। -3.47.28 अर्थ : मैं इधर उधर से बहुत सी सुन्दर स्त्रियों को हर लाया हूँ। उन सब में तुम मेरी पटरानी बनो। उच्छेत्तारं च धर्माणां परदाराभिमर्शनम्।।  -3.23.